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अपना-अपना दृष्टिकोण-Motivational story in hindi

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एक बार की बात है , एक   नवविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा। अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पत्नी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं , – “ लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता …ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं ? “  पति ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया   एक -दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे। पत्नी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी ….” कब सीखेंगे ये लोग की कपड़े कैसे साफ़ करते हैं …!!”  पति सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा पर अब तो ये आये दिन की बात हो गयी। जब भी पत्नी कपडे फैले देखती भला -बुरा कहना शुरू हो जाती। लगभग एक महीने बाद वे यूँ हीं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे। पत्नी ने हमेशा की तरह नजरें उठायीं और सामने वाली छत की तरफ देखा , ” अरे वाह , लगता है इन्हें अकल आ ही गयी …आज तो कपडे बिल्कुल साफ़ दिख रहे हैं , ज़रूर किसी ने टोका होगा !” पति बोल , ” नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका।” ” तुम्हे कैसे पता ?” , पत्नी ने आश्चर्य से पूछा। ” आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की प...

कुछ भी असंभव नहीं-मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी

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एक समय की बात है किसी राज्य में एक राजा का शासन था। उस राजा के दो बेटे थे – अवधेश और विक्रम। एक बार दोनों राजकुमार जंगल में शिकार करने गए। रास्ते में एक विशाल नदी थी। दोनों राजकुमारों का मन हुआ कि क्यों ना नदी में नहाया जाये।यही सोचकर दोनों राजकुमार नदी में नहाने चल दिए। लेकिन नदी उनकी अपेक्षा से कहीं ज्यादा गहरी थी। विक्रम तैरते तैरते थोड़ा दूर निकल गया, अभी थोड़ा तैरना शुरू ही किया था कि एक तेज लहर आई और विक्रम को दूर तक अपने साथ ले गयी।विक्रम डर से अपनी सुध बुध खो बैठा गहरे पानी में उससे तैरा नहीं जा रहा था अब वो डूबने लगा था। अपने भाई को बुरी तरह फँसा देख के अवधेश जल्दी से नदी से बाहर निकला और एक लड़की का बड़ा लट्ठा लिया और अपने भाई विक्रम की ओर उछाला।लेकिन दुर्भागयवश विक्रम इतना दूर था कि लकड़ी का लट्ठा उसके हाथ में नहीं आ पा रहा था।इतने में सैनिक वहां पहुँचे और राजकुमार को देखकर सब यही बोलने लगे – अब ये नहीं बच पाएंगे , यहाँ से निकलना नामुनकिन है। यहाँ तक कि अवधेश को भी ये अहसास हो चुका था कि अब विक्रम नहीं बच सकता, तेज बहाव में बचना नामुनकिन है, यही सोचकर सबने हथियार डाल दिए और कोई ब...

सच्ची प्रार्थना-मोटिवेशनल स्टोरी

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एक छोटा बच्चा था, बहुत ही नेक और बुद्धिमान था| एक दिन वो मंदिर में गया। मंदिर के अन्दर सभी भक्त, भगवान के मंत्र बोल रहे थे। कुछ भक्त स्तुतिगान भी कर रहे थे। कुछ भक्त संस्कृत के काफी कठिन श्लोक भी बोल रहे थे। बच्चे ने कुछ देर यह सब देखा और उसके चहेरे पर उदासी छा गयी। क्योंकि उसे यह सब प्रार्थना और मंत्र बोलना आता नहीं था। कुछ देर वहाँ खड़ा रहा उसने अपनी आँखे बन्द की, अपने दोनों हाथ जोड़े और बार-बार "क-ख-ग-घ" बोलने लगा। मंदिर के पुजारी ने यह देखा उसने लड़के से पूछा कि "बेटे तुम यह क्या कर रहे हो, बच्चे ने कहा भगवान की पूजा"। पुजारी ने कहा की "बेटे भगवान से इस तरह से प्रार्थना नहीं की जा सकती, तुम तो क-ख-ग-घ बोल रहे हो।”  पंडित पुजारी की कोई गलती भी नहीं क्योंकि उनकी तो पूजा भी रटी रटाई होती है। भाव का तो मिश्रण होता ही नहीं लेकिन बच्चा मासूम है, उसके पास शब्द तो थे नहीं सो भाव से क ख ग घ ही बोलने लगा। लड़के ने उत्तर दिया की "मुझे प्रार्थना, मंत्र, भजन नहीं आते, मुझे सिर्फ क-ख-ग-घ ही आती है। मुझे मेरे पिताजी ने घर में पढ़ाते वक्त यह बताया था कि सारे शब्द इसी क...

लायक नालायक का फर्क -- प्रेरक कहानी

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  देर रात अचानक ही पिता जी की तबियत बिगड़ गयी। आहट पाते ही उनका नालायक बेटा उनके सामने था।माँ ड्राईवर बुलाने की बात कह रही थी, पर उसने सोचा अब इतनी रात को इतना जल्दी ड्राईवर कहाँ आ पायेगा ? यह कहते हुये उसने सहज जिद और अपने मजबूत कंधो के सहारे बाऊजी को कार में बिठाया और तेज़ी से हॉस्पिटल की ओर भागा।बाउजी दर्द से कराहने के साथ ही उसे डांट भी रहे थे  "धीरे चला नालायक, एक काम जो इससे ठीक से हो जाए।" नालायक बेटा बोला  "आप ज्यादा बातें ना करें बाउजी, बस तेज़ साँसें लेते रहिये, हम हॉस्पिटल पहुँचने वाले हैं।"  अस्पताल पहुँचकर उन्हे डाक्टरों की निगरानी में सौंप,वो बाहर चहलकदमी करने लगाबचपन से आज तक अपने लिये वो नालायक ही सुनते आया था।उसने भी कहीं न कहीं अपने मन में यह स्वीकार कर लिया था की उसका नाम ही शायद नालायक ही हैं ।तभी तो स्कूल के समय से ही घर के लगभग सब लोग कहते थे की नालायक फिर से फेल हो गया। नालायक को अपने यहाँ कोई चपरासी भी ना रखे।कोई बेवकूफ ही इस नालायक को अपनी बेटी देगा। शादी होने के बाद भी वक्त बेवक्त सब कहते रहते हैं की इस बेचारी के भाग्य फूटें थे जो इस नालायक...

अभिप्रेरणा का फल_____________ रोचक कहानी

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   अमेरिका की बात हैं. एक युवक को व्यापार में बहुत नुकसान उठाना पड़ा. उसपर बहुत कर्ज चढ़ गया, तमाम जमीन जायदाद गिरवी रखना पड़ी . दोस्तों ने भी मुंह फेर लिया, जाहिर हैं वह बहुत हताश था. कही से कोई राह नहीं सूझ रही थी. आशा की कोई किरण दिखाई न देती थी.  एक दिन वह एक पार्क में बैठा अपनी परिस्थितियो पर चिंता कर रहा था. तभी एक बुजुर्ग वहां पहुंचे. कपड़ो से और चेहरे से वे काफी अमीर लग रहे थे. बुजुर्ग ने चिंता का कारण पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी बता दी. बुजुर्ग बोले -” चिंता मत करो. मेरा नाम जॉन डी रॉकफेलर है. मैं तुम्हे नहीं जानता,पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो. इसलिए मैं तुम्हे दस लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ.” फिर जेब से चेकबुक निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले, “नौजवान, आज से ठीक एक साल बाद हम ठीक इसी जगह मिलेंगे. तब तुम मेरा कर्ज चुका देना.” इतना कहकर वो चले गए. युवक चोंक गया .  रॉकफेलर तब अमेरिका के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे. युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था की उसकी लगभग सारी मुश्किल हल हो गयी. उसके पैरो को पंख लग गये...

सफलता की सलाह_______रोचक कहानी

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एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा जी के पास गाँव घूमने आया। एक दिन वो बड़ा खुश था, उछलते-कूदते वो दादाजी के पास पहुंचा और बड़े गर्व से बोला, ” जब मैं बड़ा होऊंगा तब मैं बहुत सफल आसमी बनूँगा। क्या आप मुझे सफल होने के कुछ टिप्स दे सकते हैं?” दादा जी ने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया, और बिना कुछ कहे लड़के का हाथ पकड़ा और उसे करीब की पौधशाला में ले गए।वहां जाकर दादा जी ने दो छोटे-छोटे पौधे खरीदे और घर वापस आ गए।वापस लौट कर उन्होंने एक पौधा घर के बाहर लगा दिया और एक पौधा गमले में लगा कर घर के अन्दर रख दिया।"क्या लगता है तुम्हे, इन दोनों पौधों में से भविष्य में कौन सा पौधा अधिक सफल होगा?”, दादा जी ने लड़के से पूछा। लड़का कुछ क्षणों तक सोचता रहा और फिर बोला, ” घर के अन्दर वाला पौधा ज्यादा सफल होगा क्योंकि वो हर एक खतरे से सुरक्षित है जबकि बाहर वाले पौधे को तेज धूप, आंधी-पानी, और जानवरों से भी खतरा है…”दादाजी बोले, ” चलो देखते हैं आगे क्या होता है !”, और वह अखबार उठा कर पढने लगे। कुछ दिन बाद छुट्टियाँ ख़तम हो गयीं और वो लड़का वापस शहर चला गया।इस बीच दादाजी दोनों पौधों पर बराबर ध्यान देत...

साधन और साध्य _कहानी_____________________ अकबर और तानसेन का रोचक किस्सा

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*एक बार अकबर ने तानसेन से कहा था कि तेरा वीणावादन देखकर कभी—कभी यह मेरे मन में खयाल उठता है कि कभी संसार में किसी आदमी ने तुझसे भी बेहतर बजाया होगा या कभी कोई बजाएगा? मैं तो कल्पना भी  नहीं कर पाता कि इससे श्रेष्ठतर कुछ हो सकता ‘है।*  तानसेन ने कहा,क्षमा करें, *शायद आपको पता नहीं कि मेरे: गुरु अभी जिन्दा हैं। और एक बार अगर आप उनकी वीणा सुन लें तो कहां वे और कहां मैं!* बड़ी जिज्ञासा जगी अकबर को। अकबर ने कहा तो फिर उन्हें बुलाओ! *तानसेन ने कहा, इसीलिए कभी मैंने उनकी बात नही छेड़ी। आप मेरी सदा प्रशंसा करते थे, मैं चुपचाप पी लेता था, जैसे जहर का घूंट कोई पीता है, क्योंकि मेरे गुरु अभी जिन्दा हैं, उनके सामने मेरी क्या प्रशंसा!* यह यूं ही है जैसे कोई सूरज को दीपक दिखाये। मगर मैं चुपचाप रह जाता था, कुछ कहता न था, आज न रोक सका अपने को, बात निकल गयी। लेकिन नहीं कहता था इसीलिए कि आप तत्‍क्षण कहेंगे, ‘उन्हें बुलाओ’। और तब मैं मुश्किल में पड़ुगा, क्योंकि वे यूं आते नहीं। *उनकी मौज हो तो जंगल में बजाते हैं, जहां कोई सुननेवाला नहीं।* जहां कभी—कभी जंगली जानवर जरूर इकट्ठे हो जाते हैं सुनने को। व...

अपनी अपनी अहमियत!

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  बहुत समय पहले की बात है, किसी गांव में एक किसान रहता था। वह रोज़ सुबह दूर झरनों से साफ पानी लेने जाया करता था। इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था, जिन्हें वह डंडे में बांधकर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था। उनमें से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था, और दूसरा एकदम सही था। इस वजह से रोज़ घर पहुंचते-पहुंचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था। सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचाता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है। दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पहुंचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार जाती है। फूटा घड़ा ये सब सोचकर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया। उसने किसान से कहा, मैं खुद पर शर्मिंदा हूं और आपसे माफी मांगना चाहता हूं। किसान ने पूछा, क्यों? तुम किस बात से शर्मिंदा हो? फूटा घड़ा बोला, शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूं, और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुंचाना चाहिए था, बस उसका आधा ही पहुंचा पाया हूं। मेरे अंदर ये बहुत बड़ी कमी है और इस वजह से आपकी मेहनत बर्बाद...